यो-यो हनी सिंह के कमबैक से और पिछड़ी भोजपुरी, इस बेइज्जती का ज़िम्मेदार कौन?

यो-यो हनी सिंह के कमबैक से और पिछड़ी भोजपुरी, इस बेइज्जती का ज़िम्मेदार कौन?

Honey Singh Song: पिछले कुछ दिनों से यूट्यूब पर धमाल मचा रहे एक गाने को सुपर स्टार सिंगर यो-यो हनी सिंह के कमबैक के तौर पर देखा जा रहा है. चार दिनों में ही इस गाने को चार करोड़ से भी ज्यादा लोग देख चुके हैं. गाने की सफलता का नशा यो-यो हनी सिंह के सिर चढ़कर बोल रहा है. इस शोहरत के गुमान में हनी सिंह अपने प्रतिद्वंदियों को खुली चुनौती दे रहे हैं. और यही चुनौती ही फिलवक्त का सबसे बड़ा सरोकार है. क्योंकि इस गाने की सफलता के लिए भोजपुरी की वो दो लाइनें ज़िम्मेदार हैं और अब जिसे भी इससे ज्यादा सफलता हासिल करनी होगी.

भोजपुरी के उन दो लाइनों से आगे बढ़कर ही जाना होगा. उससे भी अश्लील गाना होगा. और वहां जाने, इससे अश्लील गाने का मतलब होगा समय रैना हो जाना, रणवीर इलाहाबादिया हो जाना, अपूर्वा मखीजा हो जाना, सच में इस गाने के बोल मैनियाक की तरह असल में मैनियाक हो जाना और उस बोली को दफ्न कर देना जिसपर कम से कम 10 करोड़ लोगों को गुमान है और जिसे दुनिया के कम से कम 10 देशों में बड़े आदर और सम्मान के साथ देखा जाता है. 

गाने का ये है मतलब

यो-यो हनी सिंह के इस गाने का टाइटल है मैनियाक. अगर शब्दकोश में इस मैनियाक शब्द का अर्थ तलाश किया जाए तो मिलता है पागल, सनकी, उन्मत्त, बावला. और भी इसी तरह का कुछ मिलता-जुलता और भी अर्थ मिल जाएगा. लेकिन इस गाने की सफलता ये मैनियाक शब्द या वीडियो में दिख रहीं महंगी गाड़ियां या समंदर का किनारा या हनी सिंह और ईशा गुप्ता का डांस नहीं है. बल्कि इस गाने की सफलता का श्रेय मिला है भोजपुरी की उन दो लाइनों को, जिन्हें भोजपुरी में ही रिलीज़ किया जाता तो शायद कोई नहीं पूछता.

इस गाने के अंतरा में जो भोजपुरी गाने की लाइन है, वो है कि ‘दिदिया के देवरा चढ़वले बाटे नजरी. और इसके आगे वही भोजपुरी के लेखकों का फ़ेवरेट आउटफ़िट यानी कि चोली. आप पूरा गाना चाहे तो यूट्यूब पर सुन सकते हैं.

अगर ये गाना भोजपुरी के किसी एल्बम में होता तो शायद कोई हाय-तौबा नहीं होती. क्योंकि भोजपुरी इसके लिए बदनाम है. स्त्री तन के कुछ विशेष अंग और उन अंगों को ढंकने के लिए इस्तेमाल होने वाले कपड़े का जिक्र कर भोजपुरी गाना बनाना और उसे गाना सफलता की, पैसा कमाने की गारंटी के तौर पर देखा जाता है. अगर ऐसा नहीं होता तो चोली और उसके बटन पर ही भोजपुरी में कम से कम 50 गाने होंगे, लहंगा और घाघरा पर सैकड़ों गाने होंगे. ऐसे ही गानों को गाकर भोजपुरी के छोटे-छोटे सिंगर बड़े आदमी बन गए और विधानसभा लोकसभा तक भी पहुँच गए. पेट में सीएनजी और चोली में मोबाइल रखने वाले तीन बार सांसद बन गए. रिमोट से लहंगा उठाने वाले भी लगातार दो बार से सांसद हैं. जिन्होंने ‘राते दिया बुताके गाया, वो सांसद बनते-बनते रह गए. वो ऐसे ही गाते रहे तो सांसद बन ही जाएंगे.

लेकिन इतनी मेहनत के बाद भी इनकी वाली भोजपुरी इन्हीं के ईर्द-गिर्द, इनके चाहने वालों के ईर्द-गिर्द और चाहे-अनचाहे भोजपुरी भाषी लोगों के बीच ही महदूद रही. कुछ गानों को छोड़ दिया जाए, तो भोजपुरी का चाहे जो भी गाना चोली,कुर्ती, लहंगा, नाभि पर लिखा गया, वो यूपी-बिहार से बाहर नहीं गया, इसलिए इतनी हायतोबा भी नहीं मची. नहीं तो गाने वालों ने तो कूलर को कुर्ती में भी लगाया है, लहंगे में एसी की ज़रूरत बताई है, अपनी-अपनी जाति बताकर ‘चिपक के चुम्मा’ भी लिया है, ‘लंदन से लौंडिया लाकर रात भर डीजे भी बजाया है, मुंहवां प चदरिया डाल के लहरिया भी लूटी है…और वो सबकुछ किया है, जिसे सार्वजनिक तौर पर कहना-सुनना एक सभ्य समाज के नागरिक के तौर पर गुनाह करना है. हो सकता है कि ये जिन गानों की लाइनें मैंने आपको बताई हों अगर आप गैरभोजपुरी भाषी हों तो आपतक पहुंची भी नहीं होगीं. इसलिए वो बात चाहे पवन सिंह की हो, खेसारी की हो, कल्लू की हो, गोलू राजा की हो या फिर ऐसे तमाम भोजपुरी के दुर्दांत गायकों की, उनसे शिकायत करने का भी कोई फायदा नहीं है.

इसलिए मैं यो-यो हनी सिंह से शिकायत करना चाहता था, लेकिन अब वो भी नहीं करनी है. अपने गाने के शुरुआती बोल में ही उन्होंने बता दिया है कि आइ एम मैनियाक, तो मैनियाक आदमी से क्या उम्मीद करनी है. उम्मीद बस उन लोगों से थोड़ी हो सकती है, जिन्हें हनी सिंह ने चैलेंज दिया है. अगर वो हनी सिंह के इस चैलेंज को एक्सेप्ट करके हनी सिंह को पीछे छोड़ने के चक्कर में चोली से आगे निकल गए तो फिर इस भोजपुरी के नए झंडाबरदार यूपी-बिहार से नहीं बल्कि पंजाब से आए रैपर हो जाएंगे, जिनसे आप शिकायत करते-करते अपना माथा फोड़ लेंगे, लेकिन उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ेगा. इसलिए ये जिम्मेदारी भोजपुरी भाषी लोगों की है, कि वो इसे बचाएं.

कोई दुर्दांत गायक आए और भोजपुरी के गाने के बोल मांगे, तो उसे मोती बीए के लिखे गीत सुनाएं, भिखारी ठाकुर के लिखे गीत सुनाएं, भरत शर्मा, विष्णु ओझा, मदन राय और चंदन तिवारी के गाए गीत सुनाएं ताकि उसकी बुद्धि में थोड़ी असली भोजपुरी घुसे. क्योंकि भोजपुरी चोली-घाघरे में नहीं है बल्कि भोजपुरी वो है जिसे राजन जी महाराज गाते हैं और प्रायश्चित के तौर पर मनोज तिवारी दोहराते हैं कि हमरा बुझाता बबुआ सीएम होइहें ना ना इ त डीएम होइहें हो.

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